गुरुवार, 16 मई 2013

साम्प्रदायिकता के सात रूप




साम्प्रदायिकता कई रूपों में प्रकट होती है | भारतीय राष्ट्र की सत्य अभिव्यक्ति से ओत-प्रोत हिन्दू समाज की जीवन धरा के विरुद्ध व्यूह-रचना में लिप्त अहिंदू समाज साम्प्रदायिक है | हिन्दू समाज में भी साम्प्रदायिक वह है जो, जो मूलतः बहुआयामी हिन्दू प्रतिमा की अभिव्यंजना के बतौर अपने धार्मिक सम्प्रदायों के रूप में उत्पन्न हुए, परन्तु बाद में अपने अस्तित्व व प्रेरणा के स्रोत को भूलकर अपने को हिन्दू समाज व धर्म से भिन्न मानने लगे हैं और सीसी आधार पर पृथक एवं विशिष्ट राजनैतिक व आर्थिक विशेषाधिकारों की मांग करते हैं | इन मांगो की पाराप्ति हेतु स्वयं को हिन्दू समाज से भिन्न होने के उद्घोष के साथ तरह-तरह के आन्दोलनों का सहारा लेते हैं | नवबौद्ध व सिक्ख इसी श्रेणी में रखे जा सकते हैं |

  साम्प्रदायिकता का तृतीय स्वरुप 'द्रविड़ कड़गम' एवं 'द्रविड़ मुनेत्र कड़गम' हैं, जो नस्लीय विशिष्टता की तर्क विसंगत धारणा के आधार पर पृथकतावादी बने हैं और अपने उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए शेष समाज के विरुद्ध घृणा, हिंसा और शत्रुता फैलाते हैं | इसी प्रकार चतुर्थ श्रेणी में वे लोग हैं जो 'स्प्रृश्यता' और 'अस्पृश्यता' व 'ब्राह्मण' और 'अ-ब्राह्मण' के नाम पर विवाद उत्पन्न करते हैं तथा विशेषाधिकारों के लिए घृणा, शत्रुता तथा स्वार्थ को भड़काते हैं |

  भाषाई आधार वाली साम्प्रदायिकता पांचवी प्रकार की है, जिसमें पड़ोस में स्थित अन्य भाषा-भाषियों के विरुद्ध अस्वस्थ प्रतिस्पर्धा, विरोध व घृणा की भावना फैलाई जाती है | 'भाषाई अल्पसंख्यक' शब्द इसी मनोवृत्ति  से उत्पन्न होता है | क्षेत्रीयता की संकुचित भावना और अन्य प्रांतीय लोगों के प्रति अस्वस्थ दृष्टिकोण अपनाना छठे प्रकार की साम्प्रदायिकता है | उत्तर-दक्षिण, पंजाबी-गैर पंजाबी, मराठी-कन्नड़, गुजराती-मराठी, और बंगाली-बिहारी-उड़िया इत्यादि भेदभाव इसी प्रकार का है |

  सातवें प्रकार की साम्प्रदायिकता चुनावी लाभ प्राप्त करने के लिए जाति, पंथ व भाषा के आधार पर भड़काई जाने वाली आपसी घृणा है | यह सबसे खतरनाक साम्प्रदायिकता है , जो सम्पूर्ण देश में व्याप्त है और जिसके लिए शासक दल सहित अनेक राजनैतिक पक्ष दोषी हैं | जब तक यह राजनैतिक साम्प्रदायिकता विद्यमान है, यह नितांत असंभव है कि किसी अन्य प्रकार की साम्प्रदायिकता का उन्मूलन किया जा सके | यदि केवल इस सातवें प्रकार की राजनैतिक साम्प्रदायिकता से परहेज किया जा सके. तो इसके अन्य स्वरूपों से जूझना कम कठिन हो जाएगा | (इन प्रमुख साम्प्रदायिकताओं के अतिरिक्त इसमें अन्य छोटे-मोटे प्रकार भी हो सकते हैं | )

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