सोमवार, 13 मई 2013

इतिहास की सीख

कहा जाता है कि अपने देश में सब ओर राजनैतिक जागृति पैदा हुई है | फिर कुछ इने-गिने व्यक्तियों को ही क्यूँ 'देशभक्त' कहकर संबोधित किया जाता है? वह व्यक्ति देशभक्त है और बाकी के देशभक्त नहीं हैं क्या? अन्य देशों में तो ऐसा नहीं दीखता |चर्चिल को ही किसी ने देशभक्त नहीं कहा, वहाँ तो कोई भी यही बतायेगा कि सर्वसाधारण मनुष्य को देशभक्त होना चाहिए | देशभक्ति एक उल्लेखनीय गुण है-यह कल्पना अपने देश में ही क्यूँ आयी? कारण यह है कि यहाँ सर्वसाधारण जनता राष्ट्रभक्ति आदि कुछ नहीं जानती | किसी तरह जी रही है; मरी नहीं, इसलिए जीवित है | राष्ट्र के घटक होकर भी उसका स्पष्ट ज्ञान नहीं, राष्ट्रीयत्व पर श्रद्धा नहीं | इसलिए किसी ने विशेष रीति से देशकार्य की ओर ध्यान दिया, थोडा बहुत त्याग किया तो उसका जय-जयकार किया जाता है, उसका गौरव होता है | इसका स्पष्ट अर्थ यह है कि यहाँ सर्वसाधारण रूप से राजनैतिक जागरण नहीं हुआ है | शब्द और घोशनाएँ लोगों को मालूम हैं | स्वार्थ के लिए घातक वृत्ति से कार्य कैसे किया जाए- यह उन्हें मालूम है | परन्तु सत्प्रवृत्त राष्ट्रभक्ति की शिक्षा नहीं मिली है | इसीलिए कुछ लोगों को देशभक्त कहना ही पड़ता है |

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