सोमवार, 13 मई 2013

जीवो जीवस्य भोजनम्

हम लोगों ने देखा है कि विदेशियों ने 'जीवो जीवस्य भोजनम्' संपूर्ण सत्य मानकर संघर्ष की कल्पना के आधार पर 'विरोध-विकास', (डायलेक्टिकल मेटीरिएलिज्म ) समाज जीवन की दिशा दिखाने वाला सिद्धांत माना | उसके लिये प्रमाण नहीं दिए | बड़ी मछली छोटी मछली को खाती है, इस पर से वह सत्य माना जाए क्या? फिर, अपने प्राण देकर भी मनुष्य दूसरों की रक्षा करता है | इस सत्य को नकारा जाए? उसका अपने सुख और प्राणों पर प्रेम नहीं है क्या?

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